कुछ कविताएँ , कुछ अनुवाद ..
...और रिंग मास्टर के कोड़े पर ....कोड़ा जो ...गीत याद आ गया ..भूल जाता है आदमी कि चौपाए का ही रूप है ...
...और रिंग मास्टर के कोड़े पर ....कोड़ा जो ...गीत याद आ गया ..
ReplyDeleteभूल जाता है आदमी कि चौपाए का ही रूप है ...