Monday, July 26, 2021

अव्वल तो मुझे वहाँ होना ही नहीं था (एक खुली चिट्ठी)


14 सितंबर 2020 का दिन । हिंदी दिवस के अवसर पर पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से राज्य के मुख्यमंत्री ने प्रेस-कॉनफ्रेंस के दौरान पश्चिमबंग हिंदी अकादमी के पुनर्गठन की घोषणा की । इस घोषणा के दौरान मुख्यमंत्री ने 25 सदस्यों की एक सूची का ऐलान किया जो नीचे दी जा रही है ।
आनंद बाजार समूह के समाचार चैनल पर यह घोषणा प्रसारित हो रही थी जिसका लिंक नीचे दिया जा रहा है ।

पच्चीस सदस्यों के नामों की चर्चा कोलकाता में साहित्य-संस्कृति से जुड़े लोगों के बीच स्वाभाविक रूप से होने लगी थी । एक मित्र के संदेश से मुझे मालूम हुआ कि इस सूची में मेरा भी नाम शामिल है । व्यक्तिगत रूप से यह जानकारी मेरे लिए अप्रत्याशित तो थी ही, कहना चाहिए कि यह कुछ हद तक एक झटके की तरह भी था । सत्ता प्रतिष्ठानों से मेरी अरुचि को मित्र जानते हैं । यह अनुमान का विषय है कि किसी न किसी स्तर पर मेरे नाम की अनुशंसा पश्चिम बंगाल सरकार के तथ्य एवं संस्कृति विभाग तक किसी ऐसे व्यक्ति ने की होगी जो मुझे जानता रहा हो ।  पश्चिमबंग हिंदी अकादमी का अतीत में भी पुनर्गठन होता रहा है । मजे की बात यह कि वही लोग मुख्य रूप से इस बार भी नामित किये गए थे थोड़े से कॉस्मेटिक बदलाव के साथ । अर्थात नई बोतल में पुरानी शराब । अवश्य एक सह-अध्यक्ष का नाम दिख रहा था जो नया था । मृत्युंजय कुमार सिंह साहित्य और कला के क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं । साथ ही प्रियंकर पालीवाल, आशुतोष सिंह, ममता पाण्डेय जैसे साहित्य-संस्कृति से जुड़े मित्र भी दिख रहे थे । 

यहाँ मेरे सामने विकल्प दो थे । एक तो यह कि इस्तीफा दे दूँ और अलग हो जाऊँ । चूँकि किसी भी स्तर पर मेरी सहमति नहीं ली गई थी इस बाबत, इसलिए इस्तीफा देने में कोई परेशानी भी नहीं थी । दूसरे यह कि भीतर रहकर हस्तक्षेप की कोशिश करूँ । मित्रों से बात की तो राय बनी कि भीतर रहकर हस्तक्षेप किया जाए । अबतक अच्छा कुछ नहीं हुआ है पश्चिमबंग हिंदी अकादमी में लेकिन कोशिश तो की ही जा सकती है । जरूरी होगा तो इस्तीफा तो कभी भी दिया ही जा सकता है । 

इसी बीच पश्चिमबंग हिंदी अकादमी के लिए 5 करोड़ की राशि और उसके नए दफ्तर के आवंटन से संबंधी एक सरकारी घोषणा हुई और एक प्रशासनिक आदेश 23 सितंबर को जारी हो गया । वह आदेश नीचे दिया जा रहा है । 


तो तय यह हुआ कि नोटिफिकेशन जारी होने तक देखते हैं । भारी विस्मय की बात यह हुईं कि 14 सितंबर को मुख्यमंत्री द्वारा स्वयं घोषणा करने के बावजूद यह नोटिफिकेशन अंततः 12 अक्टूबर को जारी हुआ । हैरानी की बात थी कि नोटिफिकेशन में पूर्व-घोषित सह-अध्यक्ष सहित कई सदस्यों के नाम नहीं थे । दूसरे शब्दों में कहें तो इन नामों को हटा दिया गया था । वह नोटिफिकेशन नीचे दिया जा रहा है । 

 यह नोटिफिकेशन अपने आप में बहुत कुछ कह रहा था ।  मुख्यमंत्री की घोषणा के साथ-साथ जबकि नोटिफिकेशन आ जाना चाहिए था यहाँ मामला 14 सितंबर से 12 अक्टूबर तक क्यों खिंच गया ? क्या इसके पीछे कोई निहित उद्देश्य था ? इन प्रश्नों के साफ उत्तर नहीं मिल सकते थे । 

17 अक्टूबर 2020 को एक ह्वाट्सऐप ग्रुप हिंदी अकादमी की तरफ से श्री दीपक गुप्ता, सदस्य सचिव ने क्रिएट किया और इससे हमें जोड़ा । ग्रुप ऐडमिन, सदस्य सचिव व अध्यक्ष सहित कुछ ऐसे व्यक्ति भी थे जिनको मैं नहीं जानता था । तो इस ह्वाट्सऐप ग्रुप में सूचना पोस्ट हुई कि अकादमी की पहली बैठक 21 अक्टूबर 2020 को बंगाल क्लब में होगी । मैंने एजेंडा जानना चाहा । 

तय समय पर पश्चिमबंग हिंदी अकादमी की पहली बैठक बंगाल क्लब में हुई । आदतन मैं वहाँ तय समय से पहले पहुँचा । अध्यक्ष श्री विवेक गुप्ता और सदस्य सचिव श्री दीपक गुप्ता से वहीं मेरा प्रथम परिचय हुआ । उत्सव जैसा माहौल था बंगाल क्लब के उस सभागार में । सदस्यगण उत्साहित दिख रहे थे । सबके पास कुछ प्रस्ताव थे । अध्यक्ष ही मीटिंग का संचालन भी कर रहे थे जोकि कायदे से सचिव को करना चाहिए था । मीटिंग का मूड कुछ ऐसा था कि 5 करोड़ की लॉटरी लग गई है और इसे वित्तीय वर्ष के भीतर ही खर्च कर लेना है । मुझे सबसे आखिर में बोलने का अवसर मिला । मैंने पूछा कि पश्चिमबंग हिंदी अकादमी की नियमावली, उसका अपना संविधान क्या है । मैंने नोट किया कि यह बात अध्यक्ष को पसंद नहीं आई । मुझे याद है कि मैंने वहाँ यह भी कहा था कि जब हम किसी संस्था के साथ जुड़ते हैं तो उसके अच्छे कामों के साथ उसके बुरे कामों के इतिहास का बैगेज भी हमारे ऊपर होता है । मैं सदस्यों को अकादमी की दीर्घ अकर्मण्यता और उसकी व्यर्थता याद दिलाना चाह रहा था और साथ ही आसन्न चुनौतियाँ भी । मैंने वहाँ यह भी कहा कि जब मैं यहाँ से बाहर निकलूँगा तो मुझसे पूछा जाएगा कि पश्चिमबंग हिंदी अकादमी की मीटिंग ऐसे विलासबहुल जगह पर क्यों हो रही है । मुझे याद है कि मैंने बहुत साफ शब्दों में वहाँ रिफ्रेशमेंट के नाम पर आयोजित भोज में शामिल होने से इनकार कर दिया था और चाय तक नहीं पी । मैंने यह भी कहा कि आगामी किसी भी बैठक में न तो मैं चाय-नाश्ता में शामिल रहूँगा और न ही किसी किस्म का टीए-डीए क्लेम करूँगा । अगर इससे दो पैसे बचते हैं तो उन्हें अकादमी के काम में इस्तेमाल किया जाए । अपनी बात कहकर मैं मीटिंग से निकल आया था । 
अकादमी की दूसरी मीटिंग अगले ही महीने 30 नवंबर को सरकार द्वारा आवंटित हेमन्त भवन में  हुई जिसमें कई सदस्य ऑनलाइन जुड़े । ये दोनों ही बैठकें चर्चा के लिहाज से गंभीर बैठकें नहीं थी । अध्यक्ष का पूरा जोर इस बात पर रहता था कि जो फैसले उन्होंने लिए हैं उनको अमली जामा पहनाने के लिए सदस्यों की रजामंदी जैसे तैसे ले लेनी है ।  इस दरम्यान यह साफ हो चला कि अध्यक्ष काम कैसे करना चाहते हैं । मोटे तौर पर उन्होंने चार समितियाँ बनाने की बात कही जिसमें कौन लोग होंगे यह वे ही तय करेंगे और उनसे सीधे रिपोर्ट लेंगे । अध्यक्ष के द्वारा चुने समिति के संयोजक यदि जरूरी समझेंगे तो बाकी के सदस्यों के साथ मशविरा करेंगे । अर्थात बाकी सदस्यों की भूमिका बस इतनी रही कि वे समय समय पर आयें और प्रस्तावों का अनुमोदन कर अपने-अपने घर जाएँ । यह एक ऐसा मोड़ था जहाँ चुप नहीं बैठा जा सकता था । दिसम्बर 2020 और जनवरी 2021 के महीनों में अकादमी की कोई बैठक नहीं बुलाई गई थी । 

इस दरम्यान मैंने दो पत्र लिखे । एक तो पश्चिम बंगाल सरकार के तथ्य एवं संस्कृति विभाग के सचिव को, क्योंकि अकादमी इसी विभाग के अधीन काम करती है । दूसरा पत्र मैंने सीधे अकादमी अध्यक्ष को संबोधित करते हुए लिखा । ये दोनों ही पत्र मैंने ई-मेल के माध्यम से संबंधित व्यक्तियों को भेज दिया । ये दोनों ही पत्र यहाँ नीचे दिए जा रहे हैं । 

पत्र-1

पत्र- 2 


आगे की घटना यह कि पश्चिमबंग हिंदी अकादमी की तीसरी मीटिंग सिलीगुड़ी में 26 फरवरी को बुलाई गई । 

सिलीगुड़ी में होने वाली तीसरी मीटिंग कई मायनों में तात्पर्यपूर्ण रही । एक तो यह कि यह बैठक लगभग तीन महीनों के अंतराल पर होने जा रही थी । दूसरे 30 नवंबर की बैठक की कार्य-विवरणी इस बैठक से एकदिन पूर्व अर्थात 25 फरवरी को सदस्यों को ई-मेल के मार्फ़त भेजी गई थी । इसमें कई त्रुटियाँ और विरोधाभास थे । माहौल ऐसा था कि किसी भी दिन राज्य में विधानसभा चुनावों की घोषणा हो जाएगी और मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट लागू हो जाएगा । 

मैंने सिलीगुड़ी की इस मीटिंग में शिरकत के लिए अपने स्तर पर पहले ही जाने-आने का रेल टिकट बुक कर लिया था और विश्राम के लिए न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन के पास ही एक साधारण से लॉज में एक कमरा भी बुक कर लिया था । 26 फरवरी की दोपहर तैयार होकर मैं सिलीगुड़ी के मैनाक टूरिस्ट लॉज पहुँच गया जहाँ पश्चिमबंग हिंदी अकादमी की तीसरी बैठक होने वाली थी । मैंने देखा कि काफी गहमागहमी थी वहाँ । अन्य सदस्यों के भोजन और आवास की व्यवस्था वहीं थी । कुछ लोग तो एकदिन पहले ही वहाँ पहुँचे हुए थे । बहरहाल यह मीटिंग इस अर्थ में खास थी कि इस मीटिंग की पूरी वीडियो रेकॉर्डिंग अध्यक्ष के निर्देश पर उनके विशेष सहायक कर रहे थे । इस मीटिंग से ऐन पहले सचिव सदस्य श्री दीपक गुप्ता, हिंदी अकादमी के दायित्व से अलग हो गए थे और नए सदस्य सचिव, मुकेश कुमार सिंह इस मीटिंग में पहली बार शिरकत कर रहे थे । 
इसी दिन शाम के वक़्त अकादमी द्वारा आयोजित नाट्य-उत्सव का उद्घाटन होना था जिसके लिए उमा झुनझुनवाला अपनी टीम के साथ यहाँ पहले से ही मौजूद थीं । मीटिंग के दौरान जानकारी मिली कि नाट्य उत्सव के लिए कलाकारों और टेक्नीशियंस का भुगतान किया जाना है जिसकी व्यवस्था नहीं हो पाई है । उमा झुनझुनवाला इस बात को लेकर काफी परेशान दिख रही थीं । अध्यक्ष ने सारा दोष पूर्व सचिव दीपक गुप्ता पर डालकर अपना पल्ला झाड़ लिया । नए सचिव मुकेश कुमार सिंह ने सूचित किया कि इसी दिन शाम को चुनावों की घोषणा हो जाएगी और तत्काल प्रभाव से मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट भी लागू हो जाएगा, लिहाज़ा नाट्य उत्सव वाले आयोजन का क्या भविष्य होगा इस बाबत वे विभाग से बात करेंगे । भुगतान का मामला फँस चुका था क्योंकि नए सचिव के अनुसार उन्होंने अभी अपना अकादमी का प्रभार ग्रहण नहीं किया था । बहरहाल इस प्रकरण पर उमा झुनझुनवाला बेहतर रोशनी डाल सकती हैं । साधारण सदस्यों के पास अकादमी के आयोजन, उसकी तैयारी अथवा उसके बजट की कोई जानकारी नहीं थी लिहाजा वे उतना ही जान रहे थे जितना मीटिंग में सुन रहे थे । 

इसी मीटिंग में एक और बात घटित हुई और वो यह कि पश्चिमबंग हिंदी अकादमी के लिए उसकी नियमावली तैयार करने की जिम्मेदारी मुझे ही दे दी गई । संदर्भ के लिए पश्चिमबंग बांग्ला अकादमी की नियमावली की एक प्रति देते हुए अध्यक्ष ने इस काम के लिए मुझे 30 दिन का समय दिया । मैंने अध्यक्ष को टोकते हुए उन्हें आश्वस्त किया कि यह काम मैं अगले 15 दिन में ही कर दूँगा । मुझे याद है कि मीटिंग में हाजिर मेम्बरान ने तालियाँ बजाकर और मेजें थपथपा कर मेरे आश्वासन का स्वागत किया था ।

मीटिंग में अध्यक्ष ने जब मुझे बोलने को कहा तो मैंने सीधे डिक्शनरी के प्रकाशन के प्रसंग में यह सवाल उठाया कि पूर्व सचिव दीपक गुप्ता से मुझे ज्ञात हुआ है कि इस बाबत 4 करोड़ 19 लाख की राशि का अनुमोदन-प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है, यह बात मीटिंग में कभी क्यों नहीं रखी गई । अध्यक्ष के लिए यह असहज करने वाला प्रश्न था । मीटिंग के दौरान इस प्रश्न पर काफी तीखा संवाद हुआ । कई सदस्यों की आँखें फैल गई थीं यह सुनकर । अध्यक्ष ने आक्रामक होते हुए इस बात से साफ इनकार किया और कहा कि जिसने आपको जानकारी दी है उसी से पूछिए । कहना चाहिए कि इस प्रसंग के बाद मीटिंग का छंद बिगड़ गया । जल्द ही मीटिंग खत्म हुई और लोगबाग भोजनकक्ष की तरफ बढ़ गए । मैं वहाँ से सीधे अपने होटल के कमरे पर आ गया । उसी शाम मुझे वापसी की ट्रेन पकड़नी थी । 

26 फरवरी वाली मीटिंग की कार्य-विवरणी 22 जुलाई तक अर्थात अकादमी में मेरे सदस्य रहते मुझे नहीं मिली थी । बहरहाल, यहाँ यह कह देना जरूरी है कि पश्चिमबंग हिंदी अकादमी के लिए नियमावली तैयार करने के लिए मैंने यहाँ की बांग्ला अकादमी के अतिरिक्त दिल्ली की हिंदी अकादमी की नियमावली का भी अध्ययन किया और ड्राफ्ट तैयार करके अकादमी अध्यक्ष सहित सभी सदस्यों को ई-मेल के मार्फ़त 9 मार्च 2021 को ही भेज दिया । भेजे गए ई-मेल का एक स्क्रीनशॉट नीचे दिया जा रहा है । 
इस ड्राफ्ट नियमावली को नीचे दिए गए लिंक पर जाकर देखा जा सकता है । 

यहाँ एक बात और दर्ज कर देनी चाहिए । इन्हीं दिनों मेरे मन में कई दफा यह ख्याल आता रहा कि मुझे अकादमी की सदस्यता से इस्तीफ़ा देकर इससे अलग हो जाना चाहिए । लेकिन परिस्थितियाँ ऐसी थीं कि चुनावी माहौल में इस्तीफे का गलत संदर्भ निकाला जा सकता था । माहौल ऐसा था उनदिनों कि राजनैतिक गलियारों में किसी भी इस्तीफे को राजनैतिक रंग देना स्वाभाविक था । हालांकि अकादमी उस तरह से राजनैतिक रंग वाली संस्था नहीं थी तथापि यह तथ्य है कि अकादमी अध्यक्ष स्वयं शासक दल की तरफ से विधायक प्रत्याशी थे और ऐसे में मेरा इस्तीफ़ा गलत राजनैतिक आशयों से जोड़ा जा सकता था । लिहाजा बहुत सोच विचार के बाद मैं इस ख्याल से उन दिनों विरत रहा । 

इस दरम्यान पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव हो गए और नई सरकार बन गई । बीते 21 जून 2021 को पश्चिमबंग हिंदी अकादमी के पुनर्गठन के बाबत एक नोटिफिकेशन जारी हुआ । यह नोटिफिकेशन नीचे दिया जा रहा है । 


21 जून 2021 को जारी नोटिफिकेशन के बाद एक महीने के अंतराल में कोई मीटिंग नहीं हुई और यह अकारण नहीं था । 22 जुलाई 2021 को पुनः पश्चिमबंग हिंदी अकादमी के पुनर्गठन के बाबत एक नया नोटिफिकेशन जारी होना था और कितनी अच्छी बात है कि मुझे इस बार यहाँ नहीं होना था । मेरे लिए यह वाकई बड़ी प्यारी बात थी । 

ये बातें यहाँ किसी व्यक्तिगत आग्रह से नहीं रख रहा हूँ बल्कि इसलिए रख रहा हूँ कि जितने भी दिन इस अकादमी का सदस्य रहा उन दिनों के लिए मेरी जवाबदेही राज्य के हिंदी समाज के प्रति है और राज्य के हिंदी समाज को यह जानने का पूरा हक है कि वहाँ रहते हुए मैंने क्या किया । 

और आखिर में दिल की बात कि.. अव्वल तो मुझे वहाँ होना ही नहीं था । साहिर लुधियानवी के लफ़्ज़ों में कहूँ तो, "तुम्हारी है तुम ही संभालो ये दुनिया" । 

- नील कमल 



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