Thursday, December 24, 2020

अभिधा में


सर्वनाम से अधिक
संज्ञायें मेरे काम आईं

विशेषणों से अधिक
क्रियाओं से काम लिया मैंने


तत्सम के इलाके में
तद्भव जितना ही मिसफिट रहा

जब व्यंजना और लक्षणा में
बना रहे थे कविताएँ मेरे दौर के कवि
मैंने अभिधा में कहनी चाही अपनी बात । 

- नील कमल 

Monday, December 14, 2020

मृतक सीरीज़ की कविताएँ


मृतक के बारे में ..

1.
वरिष्ठ कवि था वह
और दिल्ली में रहता था

वरिष्ठता के साथ दिल्ली का
मणिकांचन योग उसे विशिष्ट भी बनाता था

विशिष्टता का आलम ऐसा
कि मृतक अक्सर ही घिरा रहता युवाओं से

दिल्ली से नाराज़ एक कवि बताता था
मृतक एक औसत मेधा का कवि था
और वह औसत मेधा के युवाओं से घिरा रहा ।


2.
मृतक ने कुछ औसत कविताएँ लिखीं
जिन्हें सम्मानों पुरस्कारों ने श्रेष्ठ साबित किया

मृतक के शोक में फूट फूट कर रोये
मृतक से उपकृत तमाम कवि और कलावंत

श्राद्ध भोज की तर्ज पर ही
आयोजित की गईं गोष्ठियाँ
मृतक के सम्मान में यत्र तत्र
कहा सबने मृतक एक भला आदमी था

यूँ इतना भला आदमी वह हरगिज़ नहीं था
जितना कि कहा जाता था मृतक के बारे में ।


3.
मृतक पहली बार मशहूर हुआ
जब उसने कविता के लिए एक पुरस्कार पा लिया

मृतक आखिरी बार मशहूर हुआ
जब उसने कविता के लिए मिला पुरस्कार लौटा दिया

इस तरह मृतक की जीवनलीला
एक पुरस्कार से शुरू होकर दूसरे पर खत्म हुई ।

4.
ज्ञानपीठ पा चुका मृतक बीच में चल रहा था
दाहिने बाँये उसके साहित्य अकादमी पा चुके
मृतक कदम मिलाकर चलते थे किसी दृश्य में

कविताई की बात को जाने दीजिये
वह उन सबने जो की सो तो की ही
एक और बात जोड़ती थी तीनों को

तीनों ने गंडे खूब बाँधे जहाँ भी गये
तीनों ने चेले बहुत बनाये जो अब उनके गुण थे गाते ।

5.
मृतक को चापलूस पसन्द रहे
सुकोमल कवियों से उसने हँस कर बात की
पूछा, कैसे हैं आप, भेजिये अपनी कविताएँ
कठोर किंतु मेधा से दीप्त कवियों को उसने
अंग्रेजी में कहा - फ़क ऑफ़ !


- नील कमल 

[चित्र गूगल से साभार]