Tuesday, October 15, 2019

दहाड़

दहाड़ते हैं आप
और एक परिंदा भी नहीं उड़ता 

मांस का टुकड़ा उछालता है कोई
आप सोचते हैं आपने किया शिकार

एक बहुत बड़े बाड़े में आप रहते हैं आजकल
किसी ने बताया नहीं आपको, आप सर्कस में हैं,
आपका एक रिंग मास्टर है, आपसे भी शक्तिशाली ।
- नील कमल 

Monday, October 14, 2019

रज़ा

श्राद्धभोज के पश्चात
महापात्र लौट रहे थे इन्द्रप्रस्थ से
जयध्वनि गुंजाते, अपने सीने फुलाते

इन्द्रप्रस्थ में उन दिनों अमात्य का प्रताप था
राजा मर चुका था छोड़ कर अथाह सम्पत्ति
अंतिम इच्छा थी उसकी महापात्रों को बुलाया जाए
दया दाक्षिण्य में किसी प्रकार कार्पण्य न होने पाए

अमात्य था राजा का विश्वासपात्र, ऊपर से कवि था वह
श्राद्धभोज को इस प्रकार नाम दिया गया उत्सव का तब

कास के निविड़ वन खिल उठते जब धवल पुष्पों से
अमात्य का बुलावा आता महापात्रों को इन्द्रप्रस्थ से
विलासबहुल प्रासाद में प्रवास का दुर्दमनीय आमंत्रण

आमोद प्रमोद में काट कर उत्सव के दिन
लौट रहे होते प्रसन्नवदन मुदितमन महापात्र जब
राजधानी से कोसों दूर किसी वनप्रान्तर में कृषक
हताशा में तैयार कर रहे होते गले के लिये फन्दा
जवान लोग तब सड़कों पर खा रहे होते लाठियाँ
औरतें छुपने की जगह खोजतीं अँधेरी कोठरियों में
मध्याह्नभोज के बाद बीमार पड़ जाते अबोध शिशु

किन्तु महापात्रों को इन सबसे क्या
वे तो उत्सव के सजीले मंच से सुनाते सुंदर काव्य
और लौटकर अपने अपने गृहजनपद की सीमा में
छोड़ते हुए लम्बी डकार, कहते अमात्य की जय हो,
व्यवस्था यह चलती रहे, इसी में हम सबकी रज़ा है !

- नील कमल

Tuesday, October 1, 2019

पहली करुणा पहली चोट

पहले प्रेम को नहीं
पहले घात को याद करता हूँ

पहले कवि को नहीं
पहली करुणा को याद करता हूँ

पहली दवा से पहले
याद करता हूँ पहली चोट को

पहली सड़क जो जाती थी
घर से बाहर उसे याद करूँ
इससे पहले याद आती है पहली ठोकर

पहले-पहल की हर याद से पहले
मुझे वह घाव याद आता है, दो हड्डियों
के संधिस्थल पर टीसता हुआ अविराम ।

- नील कमल