नील कमल
कुछ कविताएँ , कुछ अनुवाद ..
Saturday, January 28, 2012
‘किट्टू’ के लिए
सपनों की उम्र
लंबी हो गई
ज़िन्दगी छोटी होने का ग़म नहीं
सपनों का अंकुर फूटा है
रोशनी की फ़सल आँखों में
तैरने लगी है
इस रोशनी का नाम
‘
किट्टू
’
होना चाहिए ।
{"
हाथ सुंदर लगते हैं" कविता संग्रह में संकलित , बेटे ऋत्विज (किट्टू) के लिए लिखी कविता}
Newer Posts
Older Posts
Home
Subscribe to:
Posts (Atom)