कवि शंख घोष की कविताएँ
(मूल बांग्ला से अनुवाद - नील कमल)
१. यौवन
दिन और रात के बीच
परछाइयाँ चिड़ियों के उड़ान की
याद आती हैं यूँ भी
हमारी आखिरी मुलाकातें ।
२. तुम
उड़ता हूँ और भटकता हूँ
दिन भर पथ में ही सुलगता हूँ
पर अच्छा नहीं लगता है जब तक
लौट कर देख न लूँ कि तुम हो , तुम ।
३. अखबार
रोज सुबह के अखबार में
एक शब्द बर्बरता
अपने सनातन अभिधा का
नित नया विस्तार ढूँढता है ।
४. सपना
ओ पृथ्वी
अब भी क्यों नहीं टूटती है मेरी नींद
सपनों के भीतर ऊँचे पहाड़ों की तहों से
झरती हैं पंखुरियाँ
झरती हैं पंखुरियाँ पहाड़ों से
और इसी बीच जाग उठते हैं धान के खेत
जब लक्ष्मी घर आयेगी
घर आयेगी जब लक्ष्मी
वे आयेंगे अपनी बन्दूकें और
कृपाण लिए हाथों में , ओ पृथ्वी
अब भी क्यों नहीं टूटती है मेरी नींद ।
५. नीग्रो दोस्त के नाम एक ख़त
रिचर्ड रिचर्ड
रिचर्ड तुम्हारा नाम मेरे लफ़्ज़ों में है ।
कौन रिचर्ड ?
कोई नहीं ।
रिचर्ड मेरा लफ़्ज़ नहीं है ।
रिचर्ड रिचर्ड
रिचर्ड तुम्हारा नाम मेरे सपनों में है ।
कौन रिचर्ड ?
कोई नहीं ।
रिचर्ड मेरा सपना नहीं है ।
रिचर्ड रिचर्ड
रिचर्ड तुम्हारा नाम मेरे दुख में है ।
कौन रिचर्ड ?
कोई नहीं ।
रिचर्ड मेरा दुख नहीं है ।
(मूल बांग्ला से अनुवाद - नील कमल)
१. यौवन
दिन और रात के बीच
परछाइयाँ चिड़ियों के उड़ान की
याद आती हैं यूँ भी
हमारी आखिरी मुलाकातें ।
२. तुम
उड़ता हूँ और भटकता हूँ
दिन भर पथ में ही सुलगता हूँ
पर अच्छा नहीं लगता है जब तक
लौट कर देख न लूँ कि तुम हो , तुम ।
३. अखबार
रोज सुबह के अखबार में
एक शब्द बर्बरता
अपने सनातन अभिधा का
नित नया विस्तार ढूँढता है ।
४. सपना
ओ पृथ्वी
अब भी क्यों नहीं टूटती है मेरी नींद
सपनों के भीतर ऊँचे पहाड़ों की तहों से
झरती हैं पंखुरियाँ
झरती हैं पंखुरियाँ पहाड़ों से
और इसी बीच जाग उठते हैं धान के खेत
जब लक्ष्मी घर आयेगी
घर आयेगी जब लक्ष्मी
वे आयेंगे अपनी बन्दूकें और
कृपाण लिए हाथों में , ओ पृथ्वी
अब भी क्यों नहीं टूटती है मेरी नींद ।
५. नीग्रो दोस्त के नाम एक ख़त
रिचर्ड रिचर्ड
रिचर्ड तुम्हारा नाम मेरे लफ़्ज़ों में है ।
कौन रिचर्ड ?
कोई नहीं ।
रिचर्ड मेरा लफ़्ज़ नहीं है ।
रिचर्ड रिचर्ड
रिचर्ड तुम्हारा नाम मेरे सपनों में है ।
कौन रिचर्ड ?
कोई नहीं ।
रिचर्ड मेरा सपना नहीं है ।
रिचर्ड रिचर्ड
रिचर्ड तुम्हारा नाम मेरे दुख में है ।
कौन रिचर्ड ?
कोई नहीं ।
रिचर्ड मेरा दुख नहीं है ।
सुंदर, सहज अनुवाद....
ReplyDeleteअच्छा अनुवाद
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