Sunday, June 23, 2019

नामखाना लोकल

इंजन से चौथे डिब्बे में
मेरी बगल में बैठा
यह अधेड़ उम्र हॉकर
टोकरी के फल सारे बेच कर
इतना निश्चिंत कि जल्द ही
शिथिल देह झपकी लेता
रखता है सिर मेरे बायें कंधे पर

थकान से बेसुध उसे कहाँ मालूम
उसके पसीने से भींग रहा मेरा कंधा

'फटाश जल' की बोतलें खुलती हैं
तो मुझे याद आती है अपनी प्यास

चाहता हूँ कि टोक दूँ उसे, कहूँ
सीधे होकर क्यों नहीं बैठते भाई,
लेकिन चुप रहता हूँ, सोचता हूँ
कितने बड़भागी होते हैं कंधे जिनपर
टेक लेकर निश्चिंत सो सकता है मनुष्य

दुःख यह कि चार स्टेशन बाद ही
उतरना होगा अपने भींगे कंधों के साथ ।

(फटाश जल : सियालदह साउथ सेक्शन का एक लोकप्रिय पेय; सस्ते मूल्य वाला बोतलबंद कार्बोनेटेड वाटर ।)

- नील कमल

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